[indore] - ऑफिस में हैरेसमेंट रोकने बनी कमेटीज का महिलाओं को पता नहीं, इसलिए पॉपुलर हुआ #Mee Too
इंदौर. देश में हैशटैग मी टू ने नेता, अभिनेता, एंटरप्रेन्योर्स, सोशल वर्कर्स, पत्रकारों की नींद उड़ा रखी है। पूरे देशभर में महिलाएं बड़ी ही बेबाकी से अपने साथ हुए सेक्शूअल हैरेसमेंट के खिलाफ आवाज उठाने के लिए आगे आ रही हैं। मी टू के अधिकांश मामलों में महिलाओं के साथ सेक्शूअल हैरेसमेंट की घटनाएं वर्कप्लेस पर ही हुई हैं। हालांकि महिलाओं को नहीं पता होता कि हर ऑफिस में सेक्शूअल हैरेसमेंट रोकने के लिए कमेटी बनाना अनिवार्य होता है। केंद्र सरकार ने २०१३ में वर्कप्लेस पर महिलाओं का यौन शोषण (निषेध, रोकथाम, समाधान) एक्ट बनाया है। इसके तहत वर्कप्लेस पर हुए किसी भी प्रकार के हैरेसमेंट की शिकायत कंपनी की इंटरनल कम्पलेंट कमेटी (आइसीसी) में करनी होती है, लेकिन इन कमेटीज में शिकायतों की संख्या घटनाओं की तुलना में बहुत कम होती है।...
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