[kushinagar] - रामराज की कुंजी है 178 साल पुरानी माधोपुर की रामलीला
तुर्कपट्टी। देश में एक तरफ जहां सामाजिक सौहार्द को लेकर बहस होती है, वहीं 178 वर्ष पुरानी तुर्कपट्टी क्षेत्र के मठिया माधोपुर की रामलीला क्षेत्र के लिए ही नहीं देश के लिए एक नजीर है। यहां हिंदू मुस्लिम दोनों वर्ग के लोग रामलीला मंच पर अपने किरदार निभाकर सामाजिक समरसता का संदेश दे रहे हैं।
1839 में गांव के अयोध्या मिश्र सावन झूला देखने अयोध्या गए। वहां तुलसीकृत रामलीलाओं का मंचन देख इतने प्रभावित हुए कि 1840 में अपने तथा पड़ोसी गांव शिराजपुर, बतरडेरा, पिपरा, बरवा कला आदि गांव के सभी जाति धर्म के लोगों के साथ मिलकर रामलीला का मंचन शुरु किया। तब यह रामलीला मैथिली और भोजपुरी भाषा में होती थी।। पड़ोसी गांव बतरडेरा के 102 वर्षीय बुजुर्ग रमाकांत पांडेय बताते हैं कि आजादी के बाद रामलीला मंचन के लिए अलग-अलग राज्य बनाए जाते थे।...
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