[nagaur] - कृष्ण की भक्ति मोह में डूबी गोपियां
रियांबड़ी. कस्बे में नवरात्र महोत्सव के तहत करणी माता मंदिर सेवा समिति के तत्वावधान में चल रहे नौ दिवसीय रासलीला मंचन कार्यक्रम में श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। वृंदावन से आए कलाकारों ने गोपियों के संग कृष्ण भगवान की रासलीला के एक से बढ़ कर एक मनमोहक प्रस्तुतियां देकर समा बांध दिया। श्रीकृष्ण लीला मंचन कार्यक्रम के शुरूआत में सेवा समिति के अध्यक्ष रतन माली, बजरंग गढ़ सेवा समिति अध्यक्ष जगदीश राठी, माणक चंद पाराशर, भंवर सिंह राजपुरोहित, विनोद गौड़, लिखमाराम भाटी आदि श्रद्धालुओं ने भगवान कृष्ण की आरती कर रासलीला कार्यक्रम की शुरूआत की। रासलीला के प्रारंभ के दृश्य में कामदेव ने जब भगवान शिव का ध्यान भंग कर दिया तो उसे खुद पर बहुत गर्व होने लगा। वह भगवान कृष्ण के पास जाकर बोला कि मैं आपसे भी मुकाबला करना चाहता हूं। भगवान ने उसे स्वीकृति दे दी, लेकिन कामदेव ने इस मुकाबले के लिए भगवान के सामने एक शर्त भी रख दी। कामदेव ने कहा कि इसके लिए आपको अश्विन मास की पूर्णिमा को वृंदावन के रमणीय जंगलों में स्वर्ग की अप्सराओं-सी सुंदर गोपियों के साथ आना होगा। कृष्ण ने यह भी मान लिया। फिर जब तय शरद पूर्णिमा की रात आई, भगवान कृष्ण ने अपनी बांसुरी बजाई। बांसुरी की सुरीली तान सुनकर गोपियां अपनी सुध खो बैठीं। आमतौर पर काम, क्रोध, मद, मोह और भय अच्छे भाव नहीं माने जाते हैं लेकिन जिसका मन भगवान ने चुरा लिया हो तो ये भाव उसके लिए कल्याणकारी हो जाते हैं। वहीं गोपी के अर्थ पर रासलीला प्रदर्शन के दौरान प्रकाश डालते हुए कहा कि जो भगवान कृष्ण के प्रति कोई इच्छा न रखता हो, वह सिर्फ कृष्ण को निष्काम ही चाहती है। उनके साथ रास खेलना चाहती है। उसकी खुशी सिर्फ भगवान कृष्ण को खुश देखने में हैं।
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