😞खैर अच्छा ही हुआ कि ये मुमकिन न हुआ😔
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Shayari
😞खैर अच्छा ही हुआ कि ये मुमकिन न हुआ,😔
😟मेरी इस रूह का कोई भी पैरहन न हुआ।😕
😣पल गुजारे थे जो तन्हाई में रोते-रोते,😭
😣इस तरीके से भी मेरा गम कुछ कम न हुआ। 😖
❤उड़ रहा था मेरा दिल भी परिंदों की तरह,🐦
😣तीर जब लग गया तो कोई भी मरहम न हुआ। ☹
👀देख लेनी थी मुझे भी हर सितम की अदा,😩
😟ऐ सनम तेरे जैसा मेरा कोई दुश्मन न हुआ। 😔