[durg] - चातुर्मास प्रवचन: जब शरीर ही नश्वर है, तब सत्ता, सम्पत्ति और शक्ति शाश्वत कैसे हो सकता है-लक्ष्ययशाश्री
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दुर्ग. हर व्यक्ति चाहता है कि उनको मिले हुए सत्ता, सम्पत्ति और शक्ति शाश्वत बन जाए, लेकिन यह संभव नहीं है। समय के पाश से सभी बंधे हुए हैं। शरीर है इसलिए प्रत्येक वस्तु की मर्यादा है। शरीर की मर्यादा है। प्रत्येक व्यक्ति को कभी ना कभी शरीर को त्यागकर आयुष की मर्यादा का वरण करना होगा। कालचक्र में सबकी मर्यादा सन्निहित है। जब शरीर ही नश्वर है, तब शरीर से जुड़े सुख की परिकल्पना का आधार सत्ता, सम्पत्ति और शक्ति शाश्वत कैसे हो सकता है। विडम्बना यह है कि व्यक्ति मृत्यु से डरता है, लेकिन पाप से मुक्त होने का प्रयत्न नहीं करता। जो सत्य को समझता है, वह मृत्यु को भी महोत्सव के रूप में स्वीकार करता है।...
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