[ghazipur] - वर्षों से चिकित्सकविहीन चल रहा चिकित्सालय
बहरियाबाद। स्थानीय कस्बा के चकसदर मौजा स्थित राजकीय यूनानी चिकित्सालय के भवन का निर्माण दशकों बाद भी नहीं हो पाया है। भवन के अभाव में कई वर्षों से विभागीय स्तर पर स्वीकृत चिकित्सा संसाधनों की न तो बहाली हो पा रही है और न ही यहां कोई स्वास्थ्य कर्मी असुविधाजनक परिस्थितियों के कारण आना चाहता है। यही वजह है कि कई वर्षों से यह चिकित्सालय चिकित्सक विहीन चल रहा है।
यूनानी चिकित्सालय जलालाबाद में नियुक्त डाक्टर बतौर प्रभारी चिकित्साधिकारी सप्ताह में दो दिन सोमवार एवं गुरुवार को इस अस्पताल में बैठते हैं। अन्य दिनों में यह अस्पताल केवल फार्मासिस्ट के भरोसे ही चलता है। चार शैय्या वाला यह सरकारी अस्पताल लगभग सत्तर वर्षों के लंबे अंतराल के बाद भी एक वर्ष पहले तक किराए के खस्ताहाल दीवारों तथा उजड़े हुए खपरैलों के एक कमरे में था। बरसात के दिनों में कमरे के छाजन से पानी का रिसाव होने लगता था। इस अस्पताल की बदतर दशा देखते हुए लोगों की मांग पर ढाई दशक पहले ग्राम पंचायत आराजी कस्बा स्वाद के तत्कालीन प्रधान ने अस्पताल भवन निर्माण के लिए ग्राम समाज की जमीन का आवंटन कर दिया था। बावजूद इसके जमीन उपलब्ध रहते हुए भी शासन एवं जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण अब तक अस्पताल भवन के निर्माण के लिए बजट उपलब्ध नहीं हो सका है। काफी जद्दोजहद के बाद एक वर्ष पूर्व यूनानी अस्पताल को ग्राम पंचायत चकफरीद के चकसदर मौजा स्थित सामुदायिक भवन में स्थानांतरित कर दिया गया। कुल चार पदों के सापेक्ष तीन फार्मासिस्ट, वार्ड ब्वाय एवं चौकीदार ही कार्यरत हैं। चिकित्साधिकारी का पद विगत पांच वर्षों से रिक्त है। काफी जद्दोजहद के बाद जलालाबाद में तैनात चिकित्सक को बहरियाबाद का भी अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया जो सप्ताह में दो दिन सेवा देते हैं। इस अस्पताल का सर्वाधिक लाभ क्षेत्र के गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले गरीबों को मिलता है लेकिन चिकित्सक तथा चिकित्सा उपकरणों के अभाव में यह अस्पताल क्षेत्र के गरीब रोगियों की चिकित्सा करने में पूर्णतया अक्षम साबित हो रहा है। मरीज का बेड, ड्रिप स्टैंड, फर्नीचर, बेंच आदि टूट-फूट कर कबाड़ की शक्ल में एक कोने में पड़े हैं। परिसर में लगा हैंडपंप कई माह से खराब हो गया है। चिकित्सालय भवन एवं आवास की कमी के कारण जल्द यहां कोई डाक्टर या चिकित्सा कर्मचारी आने के लिए तैयार नहीं होता है। प्रभारी चिकित्साधिकारी ने बताया कि इस संबंध में विभागीय उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है।
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