अनदेखी: फैलता गया बोदरी का अतिक्रमण,ये गाइडलाइन जरूरी
छिंदवाड़ा/सुप्रीम कोर्ट द्वारा केरल में जल स्त्रोतों के संरक्षण पर सख्त कदम उठाया है और अतिक्रमण हटाने के दिशा-निर्देश भी दिए हैं। अतिक्रमण के मामले में इस गाइड लाइन का पालन किया जाए तो बोदरी नदी के किनारे अतिक्रमण कर बनाए बहुमंजिल भवनों को ध्वस्त किया जा सकता है। जामुनझिरी से निकली यह नदी शहर के सात किमी एरिया में नाले में तब्दील हो गई है।
जिला मुख्यालय से दस किमी दूर जामुनझिरी कचरा प्लांट के पीछे की पहाड़ी नदी बोदरी नदी अस्सी के दशक में निर्मल धारा के साथ बहती थी। आबादी के दबाव में धीरे-धीरे इसके तट पर अतिक्रमण का जाल फैलता गया और सात किमी के बहाव क्षेत्र में यह गंदे नाले में तब्दील हो गई है। पुराना रेकार्ड बताता है कि नब्बे के दशक में कॉलोनियों के विकास ने इस नदी के बहाव क्षेत्र को लील लिया। इस नदी का पहला अतिक्रमण खजरी के पास बनी शिक्षक कॉलोनी से नजर आता है,जहां पहले नदी किनारे झुग्गी बस्तियां बनी,अब प्रधानमंत्री आवास के पक्के मकान बन गए। इन मकानों का गंदा पानी बोदरी में मिलता है। आगे धर्मटेकरी, सुभाष कॉलोनी, विवेकानंद कॉलोनी, कलेक्ट्रेट, गुरैया सब्जी मंडी के आसपास की कॉलोनियों की गंदगी भी नदी में दिखाई दी। परासिया रोड और आगे नागपुर रोड में कोलाढाना के पास अतिक्रमण ने भी नदी को नुकसान पहुंचाया है। बारिश से पूर्व एसडीएम ने कार्रवाई कर नदी के अंदर बनाए गए झुग्गी झोपड़ों को हटवाया था। नदी के किनारे ऊंची इमारतों से नदी का तट मापा जाए तो बड़े पैमाने पर अतिक्रमण निकलेगा। सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन बोदरी नदी को मुक्त करने की नजीर बन सकती है।...
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