साढ़े तीन दशक की हर खास बात है उनकी डायरियों में
गुढ़ाचन्द्रजी. यूं तो डायरियां अनेक लोग लिखते हैं लेकिन ढहरिया निवासी रामरूप मीना का डायरी लिखने को लेकर शौक कुछ अनूठा है। वह साढ़े तीन दशक से भी अधिक समय से अपनी निजी बातों के अलावा गांव से लेकर देश-विदेश की प्रमुख खबरों को रोजाना डायरी में लिखते हैं।
पेशे से ५५ वर्षीय वरिष्ठ अध्यापक रामरूप मीना ने बताया कि वे १९८३ में वे १९ वर्ष के थे, तब उन्होंने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जीवनी एक डायरी में पढ़ी थी। तभी से उन्होंने रोजाना डायरी लिखने की ठान ली। तभी से वे रोजाना डायरी लिखते हैं। साथ ही संकल्प लिया कि वे हर दिन शाम को डायरी लिखकर ही बिस्तर में सोएंगे। तभी से यह सिलसिला उनका अनवरत जारी है।...
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