[karauli] - आस्था का केन्द्र है जगदीश धाम
नादौती. कैमरी स्थित जगदीश महाराज का मंदिर जन जन की आस्था को केन्द्र है। कैमरी में भक्त चन्द्रमादास की कठोर तपस्या व भक्ति के प्रभाव से माघ सुदी पंचमी संवत १७३५ बसंत पंचमी के दिन भगवान की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा हुई। तभी से बसंत पंचमी व आषाढ़ सुदी दौज पर भी जगदीश भगवान का मेला भरता है।
किवदंतियों के अनुसार कैमरी गांव के भांजे चन्दनराम जो बाद में भक्त चन्द्रमादास कहलाए, इनका जन्म गंगापुर उपखण्ड के गांव नांगतलाई में * बुदी पंचमी संवत १७०१ में मुरली गुर्जर के घर हुआ। इनकी मां का नाम सुधर्मा देवी था। चंद्रमादास बचपन से ही भक्त प्रवृत्ति के थे। तेरह वर्ष की उम्र में ही भगवान जगन्नाथ जी के प्रति अटूट श्रद्धा भक्ति जागृत होने के साथ ही अध्ययन व दीक्षा के लिए ये निकल कर गुरू बृजदास की शरण में पहुंच गए। इनकी भक्ति व जगन्नाथ भगवान के प्रति श्रद्धा को देखते हुए गुरू ने चन्द्रमादास के नाम से नामकरण किया। वे कैमरी में मामा मामी के बीच पुन: लौट आए। संवत १७२२ में इनकी भरतपुर के अंतर्गत जहाजपुर में विवाह हुआ। शादी के बाद भगवान की भक्ति के साथ पूर्ण ब्रह्मचर्य व्रत का पालन किया। जगदीश भगवान को प्राप्त करने के लिए मन में संकल्प धारण कर ज्येष्ठ शुक्ला १२ संवत १७२५ को जगदीश धाम उड़ीसा के लिए कनकदण्डवत देते हुए प्रस्थान किया। धर्मपत्नी जमुना देवी भी उनके साथ चल पड़ी।...
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